कम्प्यूटर का इतिहास एवं विकासक्रमHistory of development of Computers
वर्तमान युंग कम्प्यूटर का युग है। कम्प्यूटर की उत्पत्ति Compute शब्द से हुई है, जिसका तात्पर्य है, गणना करना। इसी कारण सामान्यतः कम्प्यूटर को एक संगणक युक्ति (Calculating Device) के नाम से जाना जाता है।
कम्प्यूटर में स्वयं की तार्किक शक्ति तथा स्मृति नहीं होती है। मानव की स्मृति समय के साथ-साथ धूमिल होती जाती है, लेकिन कम्प्यूटर की स्मृति सदैव वैसी ही बनी रहती है, जैसी पहले थी।
कम्प्यूटर एक ऐसा इलेक्ट्रोनिक यंत्र है, जो प्रयोगकर्ता (User) द्वारा दिये गये निर्देशों तथा संदेशों का तुरंत तथा अक्षरतः पालन करता है|
Computer जटिल से जंटिल गणनाओं को कुछ ही सेकेण्डों में सम्पन्न कर देता है। आज computer, संस्थाओं में अच्छे प्रबंधन के लिए प्रयुक्त किया जाता है। आज computer के माध्यम से बैंको का कामकाज शुद्धता और तेजी से हो रहा है। हम computer की सहायता से credit card द्वारा खरीददारी कर सकते हैं। Computer द्वारा वायुयान, रेलवे तथा होटलों में सीटों का reservation होता है। अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा सूचनाओं के आदान-प्रदान में computer की भूमिका महत्वपूर्ण है।
इन सभी के लिए computer को program की आवश्यकता होती है, तथा यह program, computer की memory में store हो जाता है। यह computer program कम्प्यूटर की समझ में आने वाली भाषा में तैयार किये जाते हैं।
Computer एक ऐसी electronic device है, जो instruction के group के नियंत्रण में data पर process करके information generate करता है। Computer में main data accept करके programme को execute करने की क्षमता होती है। यह data पर mathematical तथा logical operation करने में सक्षम है। Computer में data को accept करने के लिए input device होती है, जबकि process से result को प्रस्तुत करने के लिये output device होती है। Processing का कार्य जिस device में होता है, उसे Central Processing Unit (C.P.U.) कहते हैं। C.P.U. कम्प्यूटर का दिमाग (मस्तिष्क) होता है। अतः यह कहा जा सकता है, कि कम्प्यूटर का आरंभ गणितीय गणनाओं के लिए हुआ है।
Computer के विकास का इतिहास
मानव प्राचीन काल से ही जिज्ञासु रहा है, एवं इसी जिज्ञासा के कारण मानव-प्रकृति, अन्य प्राणियों से अलग एवं श्रेष्ठ हैं। मनुष्य को पाषाण काल से ही गणना की आवश्यकता महसूस होने लगी।
कम्प्यूटर का इतिहास लगभग 300 वर्ष पुराना है, जब चीन में एक गणना यंत्र (calculating machine) अबेकस (Abacus) का आविष्कार हुआ। यह एक मैकेनिकल डिवाइस (mechanical device) है, जो कि आज भी जापान.चीन सहित एशिया के अनेक देशों में अंकों की केलकुलेशन के लिए उपयोग की जाती है। अबेकस तारों का एक फ्रेम (fame of wires) होता है। इन तारों में बीड (पक्की मिट्टी के गोल टुकड़े या गोलियाँ जिनमें छेद हो) पिरोई जाती हैं। शुरूआत में अबेकस (Abacus) व्यापारिक गणनायें करने के काम में प्रयोग किया जाता था। यह मशीन अंकों के जोड़, बाकी, गुणा व भाग क्रियाएँ करने के काम आती है। यह फ्रेम दो भागों मं विभाजित होता है, जिसके एक तरफ के प्रत्थेक तार में दो बीड होती है, जिसमे हर एक का मान 5 होता है, तथा दूसरे भाग के प्रत्येक तार का मान 5 बीड होता है, जिनमें प्रत्येक का मान 1 होता है
सदियों बाद अनेक यांत्रिक मशीनें अंकों की गणना के लिए विकसित हुई। सत्रहवीं शताब्दी में फ्रास के गणितज्ञ ब्लेज पास्कल (Blaize Pascal) ने एक यांत्रिक अंकीय गणना यंत्र (mechanical digital calculator) सन् 1642 में विकसित किया। इस मशीन को एडिंग मशीन (adding machine) कहते थे, क्योंकि इसके द्वारा केवल जोड़ या बाकी ही किया जा सकता था। यह मशीन घडी (Watch) और ओडोमीटर (Odometer) के सिद्धांत पर कार्य करती थी। wheel के दांतों पर 0 से 9 तक के अंक छपे रहते थे। प्रत्येक wheel का एक स्थानीय मान था, जैसे - इकाईं, दहाईं, सैंकड़ा आदि।
इसमें प्रत्येक Wheel स्वयं से पिछली wheel के एक चक्कर लगाने पर एक अंक पर घूमती थी। ब्लेज पास्कल (Blaize Pascal) की इ्स एडिंग मशीन को pascaline के नामं से भी जाना जाता है, जो सबसे पहला यांत्रिकीय गणना यंत्र मैकेनिकल केलकुलेटिंग मशीन (mechanical calculating machine), था। आज भी कार के स्पीड मीटर (speed meter) में यही प्रणाली कार्य करती है।
सन् 1694 में जर्मन गणितज्ञ व दार्शनिक गॉटफ्रेड वॉन लेबनीज (1640-1716) ने पास्कलाइन (Pascaline) का विकसित रूप तैयार किया, जिसे "रेकनिंग मशीन' (Raknocing machine) कहते हैं। यह अंकों की जोड़ व बाकी के अलावा गुणा व भाग की क्रिया को भी कर सकती थी।
सन् 1801 में फ्रांसीसी बुनकर (Weaver) जोसेफ जेकार्ड (Joseph Jacquard) ने कपडे बनाने के ऐसे लूम (loom) का आविष्कार किया, जो कपडों में डिजायन (design) या पैटर्न (pattern) स्वतः ही देता था। इस लूम की विशेषता थी कि यह कपडे के पैटर्न (pattern) को कार्डबोर्ड के छिद्रयुक्त पंचकार्डों से नियंत्रित करता था। पंचकार्ड पर छिद्र की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति के द्वारा भागों को निर्देशित किया जाता था।
चार्ल्स बैबेज (charles Babbage) ने सन् 1822 में एक मशीन का निर्माण किया, जिसका व्यय ब्रिटिश सरकार ने उठाया। इस मशीन को डिफरेंस इंजन नाम दिया गया। इस मशीन में गियर और शॉफ्ट लगे थे, और यह स्ट्रीम (stream) से चलती थी।
सन् 1833 में ठीक दस साल बाद डिफरेंस इंजन (difference engine) का विकसित रूप एक शक्तिशाली मशीन एनालिटिकल इंजन तैयार किया गया। यह मशीन कई प्रकार के कम्प्यूटिंग कार्य (computing work) करने में सक्षम थी। इ्समें instructions को स्टोर करने की क्षमता थी, और इससे स्वचालित रूप से परिणाम भी छापे जा सकते थे ।
बैबेज का computer के विकास में बहुत बड़ा योगदान माना जाता है। बैबेज का एनालिटिकल इंजन आधुनिक कम्यूटर का आधार बना और इसी कारण से चार्ल्सं बैबेज को कम्यूटर का जनक (Father of Computer) कहा जाता है।
सन् 1880 में computer के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना और हुईं, वह थी अमेरिका की जनगणना का कार्य सन् 1890 से पूर्व करना। सन् 1880 में शुरू हुई गणना को करने में पूरे सात वर्षों का समय लगा था। कम समय में गणना का कार्य पूरा किया जाए इसके लिए हर्मन हेलोरिथ (Herman Hellorith) (1869-1926) ने एक मशीन बनाई. जिसमें पंचकाडों (punch-cards) को लाइट (light) द्वारा संचालित किया गया इस मशीन की सहायता से जनगणना का कार्य केवल तीन वर्ष में पूरा हुआ।
सन् 1896 में हेलोरिथ ने पंचकार्ड (punch-card) यंत्र बनाने की एक कम्पनी "टेबुलेटिंग मशीन कम्पनी" (Tabulating Machine Company) स्थापित की। सन् 1911 में इस कंपनी का अन्य कंपनियों के साथ मिलकर परिवर्तित नाम कम्प्यूटर टेबुलेटिंग रिकार्डिंग कंपनी हो गया।
सन् 1924 में इस कम्पनी का नाम पुनः परिवर्तित हो गया। इस कंपनी का नाम बदलकर इंटरनेशनल बिजनेस मशीन हो गया। अब कम्प्यूटर विद्युत यांत्रिकी युग में आ गए क्योंकि होलेरिथ की मशीन यांत्रिक थी, और विद्युत से संचालित होती थी।
सन् 1940 में विद्युत-यांत्रिकी कम्यूटिंग शिखर पर पहँच चुकी थी। आई.बी.एम. (IBM) के चार नामचीन इंजीनियरों व डॉ. हावई आइकेन (Dr. Howard Aiken) (1900-1973) ने सन् 1940 में एक मशीन का निर्माण किया, और इसका नाम ऑटोमेटिक सिक्वेन्स कन्ट्रोल्ड केलकुलेटर (Automatic Sequence Controlled Calculator) रखा। बाद में इस मशीन का नाम बदलकर मार्क-। (Mark-I) रखा गया। यह विश्व का सबसे पहला विद्युत-यांत्रिकी कम्प्यूटर था। इसमें 500 मील लंबाई के तार व 30 लाख विद्युत संयोजन थे। यह 6 सेकण्ड में एक गुणा (Multiplication) और 12 सेकेंड में एक भाग (Division) कर सकता था।
इसके उपरान्त अनेक वृहतकाय कम्यूटर बनाये गये, जो कि बायनरी (Binary) पद्धति पर कार्यं करते थे, तथा इनमें स्मृति भण्डारण (Memory Storage) की भी व्यवस्था थी। इनके उदाहरण हैं - EDVAC,EDSAC,UNIVAC-I इत्यादि।
कम्प्यूटर सिस्टम की अवधारणाComputer system concept
System शब्द की उत्पत्ति एक ग्रीक शब्द systeema से हुई है, इसका तात्पर्य है, किसी भी प्रक्रिया के विभिन्न प्रभागों के बीच व्यवस्थित सम्बन्ध। किसी भी system के प्रभागों को subsystem कहा जाता है।
पारिभाषिक शब्दों में एक या एक से अधिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये कार्यरत units के group को एक system कहा जाता है
Ex- Hospital एक system है, और इसकी units Doctor, Nurse, चिकित्सा के उपकरण, मरीज इत्यादि हैं। इनका टारगेट है, मरीजों की सेवा व चिकित्सा इसी प्रकार Computer भी एक system के रूप में कार्य करता है, जिसकी निम्नलिखित इकाईयाँ हैं
(i) Computer Hardware - Computer के electronic part Hardware कहलाते हैं। Computer hardware के अंतर्गत Keyboard, Monitor एवं Computer आते हैं, इन्हें हम देख एवं छू सकते हैं।
(ii) Computer Software - ये वे programme हैं, जो computer को instruction देते हैं, कि किस प्रकार Data process किये जायें और आवश्यक information generate की जाये।
(iii) Computer Personal -वे लोग जो computerised data तैयार करते है, programme लिखते हैं, computer को चलाते हैं, तथा output प्राप्त करते हैं। Computer personal or User' कहलाते हैं।
कम्प्यूटर की मुख्य विशेषतायेंComputer system characteristics
कम्प्यूटर अपनी कुछ special विशेषताओं के कारण अन्य machines से अलग अपना एक विशेष स्थान बना चुका है। इसकी मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं |
1. गति (Speed) - Computer द्वारा गणना का कार्य बहुत कम समय में fast speed से किया जा सकता है। Computer द्वारा किये जाने वाले कार्य computation पर based होते हैं, सामान्य computer micro second में calculation करते है, जबकि latest computer, nano second or pico second में calculation करते हैं।
विभिन्न कम्प्यूटरों की speed उसमें उपयोग किये जा रहे micro processor की speed पर निर्भर करती है।
उदाहरण स्वरूप यदि आपके कम्प्यूटर में 433 MHZ का Micro Processor लगा है, तो इसके द्वारा आप 1 सेकेंड में 43.3 करोड़ गणनाएँ कर सकते हैं, जो कि अविश्वसंनीय है।
2. शुद्धता (Accuracy) - Computer करोडों प्रकियाएं करने के बाद हमेशा आवश्यक रूप से शुद्ध (सहीं) परिणाम ही देता है। यह कभी भी गलत आउटपुट नहीं दे सकता है।
यदि गलती होती भी है, तो वह मानव द्वारा या तो गलत डाटा इनपुट की वजह से या user की वजह से होती है ।
कभी-कभी हमसे data डालने अथवा result प्राप्त करने हेतु की गईं programming मे गलती हो जाती है, जिससे शुद्ध परिणाम नहीं मिलते, परन्तु इसके लिये कम्यूटर को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता ।
3. संग्रहण क्षमता (Storage Capacity) - जितनी तीव्र गति से computer मे data processing होती है, उतनी ही तीव्र गंति से data provide भी कराने होते हैं। Computer मे processing के लिए data fast speed से उपलब्ध कराने के लिए दो प्रकार के storage standard का use किया जाता है ।
(i) Internal Storage Standard अर्थात् Primary Memory
(ii) External Storage Standard अर्थात् Secondary Memory
Primary memory को data processing के दौरान computer processor द्वारा उपयोग मे लायी जाती है। Secondary memory मे data का analysis करने के लिए information देने का programme store होता है।
Bit The Smallest Unit of Storage
1 Nibble 4 Bits
1 Byte 8 Bits
1 K.B.[Kilo bye] 1024 Bytes
1 M.B.[Mega byte] 1024 K.B. [Kilobyte]
1 G.B.[Gega byte] 1024 M.B. [Mega byte]
4. सार्वभौमिकता (Versatility) - किसी जटिल problem को computer द्वारा perform कराने के लिए उसे systematic way में proceed कराया जाता है। मुख्य रूप से computer निम्न तीन कार्य करता है
(i) Input device द्वारा data input कराना ।
(ii) Data पर प्राप्त सूचना के अनुसार calculation करना
(iii) Data का विश्लेषण करना व result को output device पर show करना ।
यह सभी प्रकार के data को process कर सकता है, तथा सरल गणनाओं से लेकर जटिल कार्यो में भी दक्षता से हमारी Help करता है।
5. विश्वसनीयता (Reliability) - Computer की याद रखने की power एवं accuracy बहुत high level की होती है। इसलिए computer की सारी process reliable होती हैं। 10 वर्ष से अधिक समय के बाद अपनी memory में से data को बिना किसी परेशानी के जल्दी से हमें दे देता है।
6. स्मरण शक्ति (Power of Remembering) - एक व्यक्ति अपने जीवन में बहुत सारी बातें करता है, लेकिन उनमें से सिर्फ वह महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रख पाता है, लेकिन एक computer सभी information चाहे वह important हो या नहीं, अपने अन्दर store करके रख सकता है, तथा बाद में कभी भी किसी भी information की आवश्यकता पड़ने पर user को provide कराता है। यह information बहुत वर्षों के बाद भी उतनी ही accurate होती है, जितनी कि पहले दिन होती है।
7. कॉन्फिगुरेशन का चयन (Choice of Configuration) - कम्प्यूटर सिस्टम में पेरीफेरल्स (peripherals) की विस्तृत श्रंखला उपलब्ध है, जो हमें विभिन्न डिवाइसेस के चयन की सुविधा प्रदान करती है। अत: कोई भी संस्था अपनी आवश्यकतानुसार सर्वश्रेष्ठ configuration लेकर डाटा processing का कार्य कर सकती है ।
8. कम कीमत (Reduced Cost) - तकनीक के सतत् विकास होने के साथ ही कम्प्यूटर उपकरण की कीमतों में सतत् कमी होती जा रही है। अतएव कम्यूटर का विक्रय अधिक होता जा रहा है। कम्प्यूटर हार्डवेयर मं कीमतें प्रतिवर्ष अनुमानित् 25% की दर से कम हो रही हैं।
कम्प्यूटर की क्षमताएँ Capabilities of Computer
कम्प्यूटर की क्षमताएँ निम्नांकित है
(i) कम्यूटर बहुत तेज गति से कार्य करता है। इसके कार्य करने की गति लाखों निर्देश प्रति सेकण्ड (MIPS- Millions of Instructions Per Second) में होती है।
(ii) कम्यूटर शुद्ध एवं सही (aecurate) गणनाएँ करते हैं। ये स्वयं कभी गलती नहीं करते हैं। कम्प्यूटर जटिल और दुहराये जाने वाले (repetitive) कार्य अच्छी तरह कर सकता है और उसमें कोई त्रुटि (error) भी नहीं छोडता। यह लम्बे समय तक एक ही कार्य को करते हुए थकता नहीं है और लापरवाही भी नहीं बरतता, क्योंकि यह एक मशीन है।
(iii) कम्यूटर की दक्षता में समय के साथ कोई कमी नहीं आती है। विद्युत् या यांत्रिक मशीनों की गति में निश्चित समयावधि के बाद कमी आ जाती है, लेकिन कम्प्यूटर में ऐसा नहीं होता ।
(iv) कम्प्यूटर का महत्व बहुमुखी (versatile) है। यह विभिन्न प्रकार के कार्य इसमें संग्रहीत निर्देशों (instructions) के आधार पर कर सकता है ।
(v) कम्प्यूटर में संगह करने की क्षमता होती है, इसलिए यह अन्य मशीनों की तुलना में अधिक उपयोगी है। इसमें सम्पन्न कार्य भविष्य के लिए संरक्षित रहंता है और पुनः आवश्यकता पड़ने पर यह संग्रहीत डाटा (data) या सूचना (information) तत्काल प्राप्त हो जाती है। इसके अलावा यदि प्रोसेसिंग हेतु डाटा (data) कम्प्यूटर की गति के अनुसार उपलब्ध न हो तो इसे पहले संग्रहीत किया जा सकता है।
(vi) कम्यूटर एक स्वचालित मशीन (automatic machine) है और प्रोग्राम (program) के निर्देशों के अनुसार कार्य करता है।
कम्प्यूटर की सीमाएँ (Limitations of computers)
कम्प्यूटर के अनेक लाभ हैं, लेकिन इसमें कुछ कमियां हैं, अर्थात् इ्सकी उपयोगिता की कुछ सीमाएँ हैं, जो निम्नलिखित हैं -
(i) कम्प्यूटर मानव-मस्तिष्क के समान स्वयं सोचने की क्षमता नहीं रखता है। यह दिये गये निर्देश (instruction) के अनुसार ही कार्य कर सकता है। कम्प्यूटर अपनी क्षमता से बाहर के कार्यों के लिए निर्देशों(instructions) का पालन नहीं करता और त्रुटिपूर्ण परिणाम देता है।
(ii) मानव के समान अप्रत्याशित (unexpected) परिरिथतियों में विकल्प, कम्प्यूटर नहीं निकाल सकता ।
(iii) कम्प्यूटर को अंतर्ज्ञान नहीं होता है। कम्यूटर सभी निर्देशों का पालन किये बिना, सीधे निष्कर्ष(conclusion) तक नहीं पहुँच सकता ।
(iv) कम्प्यूटर किसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए परिमित (निश्चित) संख्या के पदों (steps) का पालन करके क्रिया (process) करता है। प्रत्येक पद (step) स्पष्ट होना चाहिए और सभी पद (steps) क्रमानुसार होने चाहिए ।
(V) कम्प्यूटर एक निश्चित वातावरण में ही कार्य कर सकता है।
कम्प्यूटर के विभिन्न प्रकारTypes of computers
कंप्यूटर का वर्गीकरण मुख्यतः उनके अनुप्रयोग क्षमता एवं आकार के आधार पर कियां जाता है, जो निम्नलिखित है
(i)अनुप्रयोग (Application) के आधार पर
(अ) एनालॉग कम्प्यूटर (Analog computer)
(ब) डिजिटल कम्प्यूटर (Digital computer)
(स) हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid computer)
(द) सामान्य उद्देशीय कम्प्यूटर (General purpose computer)
(इ) विशिष्ट उद्देशीय कम्प्यूटर (Special purpose computer)
(ii) आकार एवं सामर्थ्य के आघार पर (As per Size of Computer)
(अ) सुपर कम्प्यूटर (Super computer)
(ब) मेनफ़ेम कम्प्यूटर (Mainframe computer)
(स) माइक्रो कम्प्यूटर (Micro computer)
(द) मिनी कम्प्यूटर (Mini computer)
अनुप्रयोग के आधार पर वर्गीकरण(As per applications of Computer)
(अ) एनालॉग कम्प्यूटर्स (Analog Computers)- एनालॉग कंप्यूटर्स भौतिक मात्राओ जिनका परिमाप सतत परिवर्तनीय होता है - जैसे - तापमान, दाब, गति, विचारधारा आादि को मापकर उन पर प्रक्रिया करके परिणाम व्यक्त करते हैं।
एनालॉग कम्प्यूटर्स मुख्य रूप से विज्ञानं एवं इंजीनियरिंग क्षेत्र में प्रयोग में लाये जाते हैँ। क्योंकि इन क्षेत्रों में मात्रा (Quantities) का अधिक उपयोग होता है। ये कम्प्यूटर केवल अनुमानित परिमाप ही देते है।
उदाहरण- (1)Thermostat
(2) Automobile Speed Motor
(3) Electronic Multimeter
(ब) डिजिटल कम्प्यूटर्स (Digital Computers)- ये कम्प्यूटर Discrete मात्राओं पर प्रक्रिया सम्पन्न करते हैं। ये विद्युत् धारा की उच्च (High) व निम्न (Low) वोल्टेज (State) का वर्णन करने वाले Discrete Signals की गणना करके डाटा की पहचान करते हैं।
ये कम्यूटर सर्वप्रथम सभी डाटा को Binary Code में परिवर्तित करते हैं, उसके उपरांत दो बाइनरी अंको (0 व 1) के मानों की गणना करते हुए डाटा प्रक्रिया करते हैं।
उदाहरण - माइक्रो कम्प्यूटर्स, कैलकुलेटर आदि ।
(स) हाईब्रिड कम्प्यूटर्स (Hybrid Computers)- वे कम्प्यूटर्स जिनमें एनालॉग ब डिजिटल कम्प्यूटर दोनों के गुण हों, हाइब्रिड कम्प्यूटर्स कहलाते हैं। एक हाइब्रिड कम्प्यूटर में एनालॉग शुद्धता (Accuracy सम्मिलित की गई है।
ये कम्प्यूटर्स सामान्यतः एनालॉग रूप में इनपुट लेकर उन्हें Binary अंकों में परिवर्तित करके उन पर प्रक्रिया करते हैं।
उदाहरण - चिकित्सा उपकरण जो किसी रोगी के लक्षणों - तापमान, रक्तचाप आदि को मापकर उन्हें डिजिटल रूप में परिवर्तित करके सूचना का तत्काल प्रेषण करते हैं।
(द) सामान्य उद्देशीय कंप्यूटर (general Purpose Computers) - ये कम्प्यूटर्स सार्वभौमिक (versatile) होते है तथा अनेक प्रकार के कायोँ (व्यावसायिक अथवा वैज्ञानिक) को समान Efficiency से सम्पन्न कर सकते हैं।
इन कम्प्यूटर्स में हम विभिन्न प्रोग्रामों को संगृहीत (Store) कर सकते हैं, तथा उनमें आवश्यकतानुसार परिवर्तन भी कर सकते हैं। इनसे हम विभिन्न (अनेक) प्रकार के कार्यों को सम्पन्न कर सकते हैँ।
जैसे.- कार्यालयों, बैंक, शैक्षणिक संरथाओं आदि में प्रयोग किए जाने वाले माइक्रोकम्प्यूटर ।
(इ) विशिष्ट उद्देशीय कम्प्यूटर्स (Special Purpose Computers)- ये कम्यूटर्स किसी विशेष कार्य को सम्पन्न कराने हेतु बनाए जाते हैं। अतः संबंधित प्रोग्रामों को निर्माता द्वारा कंप्यूटर सर्किट में ही Rom की Chip में उपलब्ध कराया जाता है।
इनके C.P.U. की क्षमता उस कार्य के अनुरूप ही होती है, जिनके लिए उन्हें तैयार किया गया है। इन्हें हम अन्य किसी भी उद्देश्य की पूर्ति हेतु उपयोग नहीं कर सकते हैं।
उदाहरण - STD-PCO, Electronic Voting Machine, Electronic Computer आदि
आकार एवं सामर्थ्य के आधार पर वर्गींकरण(As per Size of Computer)
(अ) सुपर कम्प्यूटर्स (Super Computers)- सुपर कम्प्यूटर्स, कम्प्यूटर्स की सभी श्रेणियों में सबसे बड़े, सबसे अधिक संग्रह क्षमता वाले तथा सबसे अधिक गति (Speed) वाले होते हैं। ये सबसे अधिक मंहगे व सबसे शक्तिशाली कम्प्यूटर्स होते हैं।
इनका प्रयोग अत्यंत जटिल (Complex) व Accuracy वाली गणनाओं व प्रक्रियाओं में तथा बड़े Databases को प्रोसेस करने में किया जाता है। सुपर कम्प्यूटर्स में अनेक माइक्रो प्रोसेसर प्रयोग में लाए जाते हैं, इनका प्रयोग बड़े संगठनों में निम्नलिखित कार्यों में किया जाता है -
(i) मौसम की भविष्यवाणी
(ii) रक्षा अनुसंधान एवं विकास
(iii) नाभिकीय अनुसंधान / विश्लेषण
(iv) अन्तरिक्ष अन्वेषण (Space explaration)
(v) अन्य वैज्ञानिक अनुप्रयोग
उदाहरण - C-DAC निर्मित -PARAM Super Computer, IBM निर्मित-BLU-PACIFIC Super Computer
(ब) मेनफ्रेम कम्प्यूटर्स (Mainframe Computers)- ये कम्प्यूटर्स बड़े व अधिक संग्रह क्षमता वाले सामान्य उद्देशीय कम्प्यूटर्स होते हैं। इनमें अधिक मात्रा के डाटा पर तीव्रता से प्रोसेस करने की क्षमता होती है।
इनका प्रयोग सामान्यतः कम्प्यूटर्स के बडे नेटवर्क में एक केन्द्रीय कम्प्यूटर के रूप में किया जाता है। मिनी तथा माइक्रो कम्प्यूटर्स को Workstation के रूप में जोडकर एक Centralized प्रकिया तंत्र विकसित किया जाता है।
इनका प्रयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में होता है।
(i) रेल्वे आरक्षण तंत्र
(ii) Airlines Reservation System
(iii) बीमा संस्थाओं में
(iv) वित्तीय अनुप्रयोग आदि।
उदाहरण - IBM निर्मित S/390 ES-900 , DEC निर्मित VAX-9000 आदि
(स) मिनी कम्प्यूटर्स (Mini Computers) - ये मध्यम आकार के Workgroup सिस्टम हैं। इनकी संग्रह क्षमता, गति व आकार और कीमत मेनफ़्रेम कंप्यूटर की तुलना में कम है, परन्तु माइक्रो कम्प्यूटर की तुलना में इनकी गति 5 से 20 गुना तक अधिक होती है।
इनकी मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं
(i) एक मिनी कम्यूटर की Cost, प्रोसेसिंग क्षमता, संग्रह क्षमता, Data transfer rate माइक्रो कम्प्यूटर से अधिक व मेनफ्रेम से कम होती है।
(ii) मिनी कम्प्यूटर्स में एक से अधिक हार्ड-डिस्क प्रोसेसर एवं 2 फ्लॉपी ड्राइव, 7 से 8 प्रिंटर, मैग्नेटिक टेप आदि प्रयुक्त होते हैं।
(iii) इनका प्रयोग मुख्यतः शिक्षा के क्षेत्रों , स्थानीय प्रशासन, अंतर्राज्यीय नेटवर्क, व्यावसायिक क्षेत्रों Engineering firms अनुसंधान केन्द्रों आदि में होता है।
उदाहरण - DEC'S VAX-Series:8200, IBM'S Sysetm/32 आदि
(द) माइक्रो कम्प्यूटर्स (Micro Computers) (P.C.)- ये आकार में सबसे छोटे एवं सस्ते कम्प्यूटर हैं, जिनमें माइक्रो प्रोसेसर व अन्य Integrated सर्किट्स (RAM, ROM, I/O Processor Chips) को प्रयोग किया गया है। इनकी गति व संग्रह क्षमता अन्य बड़े कम्प्यूटर्स की तुलना में कम है, फिर भी ये कम्प्यूटर सस्ते, शक्तिशाली, विश्वसनीय व versatile कम्यूटर हैं
माइक्रो कम्प्यूटर में मुख्यतः माइक्रोप्रोसेसर, मदरबोर्ड, अर्धचालक मैमोरी, कीबोर्ड, VDU माउस, डिस्कड्राइव, प्रिंटर आदि होते हैँं।
इनका प्रयोग शिक्षा, कार्यालयों, घरों, बैकों, उद्योगों व व्यापारों तथा Neworks में टर्मिनल के रूप में होता है।
उदाहरण - IBM PC, Compaq Presario, Apple-II आदि
कम्यूटर की विभिन्न पीढ़ियां Generations of computers
आधुनिक युग computer का युग कहलाता है। समाज में computer द्वारा लाया गया परिवर्तन अतुलनीय एवं अनुपम है। आज computer केवल data storage एव processing का साधन ही नहीं वरन् जीवन के क्षेत्र में भी computer प्रवेश पा चुका है।
प्रत्येक computer के मूलभूत सिद्धांत तथा उसके किसी part के नवीन रूप से विकसित होने पर एक नई Generation की शुरूआत होती है।
कम्प्यूटर के आंतरिक परिपथ विकसित किये गए एवं नये तार्किक भाग (Logical elements) में निम्नलिखित सुधार होते गए-
(i) कार्य करने की गति में वृद्धि,
(ii) आकार में छोटा होना,
(iii) सस्ता होना,
(iv) सुगमता,
(V) सग्रह क्षमता में वृद्धि,
(v) नए अनुप्रयोगों में वृद्धि।
जितनी तीव्रगति से computer के क्षेत्र का development हुआ है, ऐसा development किसी अन्य क्षेत्र में नहीं हुआ है। Computer का development किस प्रकार से हुआ है, इसकी जानकारी के लिये computer generation का निम्नलिखित विवरण इस प्रकार है
1. First Generation (1942-1955) (प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर) -
First Generation के computer का development vaccum tube के निर्माण से संभव हो सका है। Vaccum tube signal को control करता है ।
ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Calculator) एक first generation का computer है I Vaccum tube का invention sir Ambrez Flamming ने सन् 1904 में किया था । इसके अतिरिक्त first generation के अन्य computer निम्न हैं-
1. IBM650
2. IBM702
3. IBM704
Advantages (गुण) -
(i) वैक्यूम ट्यूब (Vacuum Tubes) - प्रथम पीढ़ी के कम्यूटरों के आंतरिक परिपथ में मुख्य logical elements के रूप में Vaccum tubes लगाया जाता था। ये निरंतर विद्युत के संवहन से गर्म होने के कारण जल्द ही खराब हो जाते थे। अतः प्रथम पीढ़ी के कम्पूटरों को वातानुकूलित इकाई में रखा जाता था। वेक्यूम ट्यूब बड़ी होती हैं। इस प्रकार प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटरों का आकार बड़ा होता था।
(ii) पंचकार्ड पर आधारित (Based on Punchcard) - प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर्स में आंतरिक मैमोरी (Internal memory) के रूप में मेग्नेटिक ड्रम काम में लिए जाते थे। पंचकार्ड से प्राप्त किए गए डाटा (data) व प्रोग्राम (program) इस चुबंकीय ड्रम पर चुंबकीय रूप में संग्रहित किये जाते थे।
(iii) सीमित अनुप्रयोग (Limited Application) - प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर वाणिज्यक कार्य जैसे - वेतन पत्र (Payroll) तैयार करना, बिलिंग (Billing) और लेखांकन (Accounting) के कार्य ही करते थे। इन कायों को मानवीय शक्ति की अपेक्षा करना सस्ता पड़ता था, क्योंकि उस समय कम्प्यूटर काफी मंहगे थे।
(iv)मशीनी तथा असेम्बली भाषा में प्रोम्रामिंग (Programming in Machine and Assembly Language) -
कम्प्यूटर से कार्य कराने के लिए दिये हुए निर्देशों के समूह को प्रोग्राम (program) कहा जाता है। कम्प्यूटर के समझने योग्य भाषा जिसमें प्रोग्राम लिखा जाए कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा (computer programming language) कहलाती है।
प्रथम पीढी के कम्प्यूटर में दो कम्प्यूटर भाषाऐं प्रचलित थी। पहली मशीनी भाषा (Machine Language) तथा दूसरी असेम्बली भाषा (Assembly Language)
Disadvantages (दोष)-
(i) ये computer size में बहुत बड़े थे ।
(ii)इन्हे maintain करने के लिये air condition की जरूरत पड़ती थी, क्योंकि vaccum tube के लिए बहुत सारी heat generate करनी पडती थी।
(iii) Hardware के fail होने की संभावना ज्यादा थी
(iv) Commercial production expensive तथा कठिन थे
(V) इनको केवल limited commercial areas में use किया जा सकता था ।
2. Second Generation (1955-1964) (द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटर)-
सन् 1948 में Barde Braltion तथा Shockle नामक वैज्ञानिकों ने Transistor का आविष्कार कर हरित क्रांति सी ला दी थी। Second generation computer में vaccum tube के स्थान पर Transistor का use किया गया। Computer programming के लिये Assembly language का use किया जाने लगा ।
Second generation के computer निम्न हैं- Mode1 7090, C.O.C.1604 आदि
Transistor का प्रयोग होने के कारण इन कम्प्यूटर्स का आकार एकदम छोटा हो गया, तथा यह बिल्कुल कम बिजली की खपत किया करते थे ।
Advantages (गुण)-
(i) टेप और डिस्क सेकण्डरी स्टोरेज (Tape and Disk Secondary Storage) - संग्रह माध्यम के रूप में पंचकार्ड के अतिरिक्त चुंबकीय टेप (magnetic tape) और डिस्क (Disk) का प्रयोग होता था ।
(ii) मेग्नेटिक कोर आंतरिक स्मृति (Magnetic Core Internal Memory) - मेग्नेटिक ड्रम (magnetic drum) के सथान पर अब मेग्नेटिक कोर (magnetic core) मैमोरी (menory) का प्रयोग होता था ।
(iii) हार्डवेयर भागों का समूहीकरण (Modular Internal Memory) - प्रारंभिक कम्प्यूटरों में इनके रखरखाव की जटिलता थी। कम्प्यूटर का मोड्यूलर रूप (modular design) तैयार किया गया, जिसमें किसी भाग के खराब होने पर बोर्ड को बदला जा सके।
(iv) उच्च स्तरीय भाषा में प्रोग्रामिंग (Programming in High Level Language) - मशीनी और असेम्बली भाषा (machine and assembly language) की जटिलता से बचने के लिए सरल कम्प्यूटर भाषा अर्थात् उच्च स्तरीय भाषा (high level language) का विकास हुआ।
जैसे -(FORTRAN) (Formula Translation), COBOL (Common Business Oriented Language) आदि
(V) नये कम्प्यूटर का अनुप्रयोग (New Computer Application) -
द्वितीय पीढी में तीन मुख्य घटनायें हुई। ये घटनायें वायुयानों के यात्रियों के लिए आरक्षण प्रणाली, टेलीस्टार (Telestar) की स्थापना और प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) का उदय थी।
सन् 1962 में आई.बी.एम. (IBM) और अमेरिका एयरलाइंस ने सबसे पहली वायुयान आरक्षण प्रणाली को विकसित किया ।
टेलीस्टार एक संचार उपग्रह (communication satellite) था, जो कि 1962 में स्थापित हुआ ।
एम.आई.एस. (M.I.S.) द्वारा कंप्यूटर से दिन-प्रतिदिन का कागजी कार्य प्रबंधकों के लिए सरल हो गया।
Disadvantages (दोष)-
(i) Continue maintenance
(ii) Expensive maintenance
(iii) Commercial production difficult and expensive.
3. Third Generation (1964-1971) (तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटर) -
कम्प्यूटर की तृतीय पीढ़ी 1964 के मध्य में शुरू हुई थी। जबकि IBM ने कम्प्यूटर के एतिहासिक उत्पाद बनाकर प्रस्तुत किए। इस कंपनी ने छह कम्प्यूटर्स का परिवार (Family) तैयार किया, जिसका नाम सिस्टम 1360 लाइन (system 1360 line) था I इस प्रकार से कम्प्यूटर की श्रृंखला का चलन शुरू हुआ ।
इस पीढ़ी के कम्प्यूटर्स के परिपथ में मुख्य तार्किक भाग (main logical elements) के रूप में IC (Integrated Circuit) लगाया जाता था, जिसे 1953 में Mr. H.Johanson द्वारा विकसित कियां गया। IC को मैटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर का प्रयोग कर बनाया गया था
Advantages (गुण)-
(i) कम्प्यूटर साइकिल (Computer Cycle) - कम्प्यूटर परिवार (family) की विचार धारा इसी पीढ़ी से शुरू हुईं।
(ii) ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) - कम्प्यूटर की सभी क्रियाओं को नियंत्रण में रखने के लिए कंट्रोल प्रोग्राम (control programs) का एक समूह ऑपरेटिंग सिस्टम (operating system) बनाया। इस ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा ही कम्प्यूटर के सभी आंतरिक कार्य स्वचालित हो गए।
(iii) सॉफ्टवेयर में सुधार (Improvement in Software) - इस पीढ़ी में कम्प्यूटर की नई उच्च स्तर की कम्यूटर भाषाओं का विकास हुआ । कम्प्यूटर की आवश्यकताओं के आधार पर बाजार में नई भाषाऐं आने लगी, तथा उच्च स्तरीय भाषा- BASIC का विकास हुआ ।
(iv) मिनी कम्यूटर का उदय (Rising of Mini Computer) - कम्प्यूटर के आकार को छोटा कर इसे मिनी कंप्यूटर का नाम दिया गया
मिनी कम्प्यूटर RDP-8 सबसे पहले रेफ्रिजरेटर के आकार का था । इसकी कीमत 18.000 डॉलर थी इसे DEC नामक कंपनी ने तैयार किया ।
Disadandages (दोष) -
(i) कई परिस्थितियों में AC की आवश्यकता होती है।
(ii) IC Chip production के लिए highly sophisticated technology की आवश्यकता होती है।
4. Fourth Generation (1971 -2000) (चतुर्थ पीढी के Computer) -
प्रारम्भ में IC के ऊपर 10 से 20 components को integrate किया जाता था । इस technology को small scale integration (S.S.I.) कहा गया इसके बाद Large scale integration technology आयी । इस technology मे 30000 components को एक chip पर integrate करना possible हुआ। ISI technology की help से बहुत छोटे लेकिन externaly powerful computer का development संभव हुआ। जल्दी ही एक पूरे computer के circuit को एक chip पर लाने में सफल हुए जो कि एक postage stamp size के बराबर थी।
सन् 1970 में तैयार हुए इस छोटे चिप को माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor) कहा गया। यह सबसे पहला Microprocessor था
Advantages (गुण)-
(i) माइको कंप्यूटर के आकार को न्यूनतम करना (Minimization of Micro Computer Size) - चतुर्थ पीढ़ी में कम्यूटर के आकार को छोटा करने के लिए निरन्तर प्रयास किए, और इनमें सफलता मिली। इस प्रकार एल.एस.आई सी. (L.S.I.C.-Large Scale Integrated Circuit) और बी.एल.एस.आई.सी. (V.L.S.l.C. Very Large Scale Integrated Circuit) चिप की अवधारणा प्रकाश में आई।
एक ही सिलिकॉन पदार्थ से बनी चिप (chip) जो ऊँगली के नाखून के बराबर होती है, पर लाखों परिपथ होते हैं।
(ii) सेमी कंडक्टर आंतरिक मैमोरी (Semiconductor Internal Memory) - इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में MOS (Metal Oxide Semiconductor) मैमोरी का प्रयोग किया जाता है। यह मैमोरी (memory) पूर्व की मैमोरी की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली है व अधिक तीव्र गति से कार्य करने वाली होती है
(iii) सॉफ्टवेयर में सुधार (Improvements in Software) - इस पीढ़ी में कम्प्यूटर हार्डवेयर के साथ ही सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भी विकास हुआ, जो कि आश्चर्यजनक था और सॉफ्टवेयर मार्केट (software market) में अनेकों लैंग्वेज (language) का पदार्पण हुआ, जिनमें BASIC, FORTRAN, COBOL, C,PASCAL इत्यादि है।
Disadvantages - L.S.I. Chip Production के लिए highly sophisticated technology की आवश्यकता होती है।
5. Fifth Generation (2000 - till ) (पांचवी पीढ़ी के कम्प्यूटर) -
वैज्ञानिक अभी भी fifth generation computer पर कार्य कर रहे हैं। लेकिन इसमें एक problem है, जो वास्तविक रूप में साबित नहीं हुई है। उनका main purpose है AI (Artificial intelligence) के साथ machine को लाना। Logically reasoning ability develop करना । इस प्रकार हम यह कह सकते हैं, कि fifth generation computer अपने पहले के computer से भिन्न होंगे ।
Advantages (गुण)-
(i) कम्यूटर के विभिन्न प्रकार (Diferent Size of Computers) - पांचवी पीढ़ी में कम्प्यूटर्स की आवश्यकतानुसार ही आकार व संरचना तैयार की जाती है। आज कम्प्यूटर विभिन्न रूपों जैसे - डेस्कटॉप (desktop), लैपटॉप (laptop), पामटॉप (palmtop) आदि में उपलब्ध है।
(ii) मल्टीमीडिया (Multimedia) - साउन्ड (sound), ग्राफिक्स (graphics), या चित्र व पाठ (text) के सम्मिलित) रूप, मल्टीमीडिया का इस पीढ़ी में विकास हुआ है।
(iii) नये अनुप्रयोग (New Application) - आज कम्प्यूटर की तकनीक अत्यधिक विकसित होने की वजह से ही इनके अनुप्रयोग में विकास हुआ है। जैसे - फिल्म निर्माण, यातायात नियंत्रण, उद्योग व्यापार एवं शोध आदि के क्षेत्र में।
पर्सनल कम्म्यूटर्स का कॉन्फिगुरेशन configuration of PC's
Computer System में पेरीफेरल्स (peripherals) की श्रंखला उपलब्ध है, जो हमें विभिन्न devices के चयन की सुविधा प्रदान करती है। अत: कोई भी संस्था अपनी आवश्यकतानुसार सर्वश्रेष्ठ configuration लेकर data processing का कार्य कर सकती है। इसमें configuration का चयन (choice of configuration) कहा जाता है।
IBM-PCs - एक personal computer सामान्य उद्देश्य का micro computer है, जिस पर एक समय में केवल एक व्यक्ति work कर सकता है। इस प्रकार के computer, instructions के अनुसार विभिन्न प्रकार के work करते हैं। सर्वप्रथम अमेरिका की IBM company ने personal computer को बनाया इसके बाद IBM company ने ही IBM-PC/AT का निर्माण किया।
Configuration, Pentium and Newer PC's Configurations : प्रथम personal computer अर्थात IBM-PC का configuration निम्न था
Name IBM Personal Computer
Processor Intel 8088
Compressor Socket of Intel 8087
Speed up to 8 mhz
Main memory 256 KB RAM expandable
Keyboard 84 key's with 10 function keys
Storage 360 KB double sided double density 5.25" floppy disk drive
Monitor Monochrome Display Monitor
वर्तमान में प्रचलित personal computer का configuration निम्न है
Name Personal Computer
Processor Intel Pentium IV or Dual Core or Core2 Duo
Speed 850 MHz to 1.28 GHz or more
Main Memory Primary: RAM 1 GB or more,
Secondary: Harddisk 160 GB or More
Key board 106 Keys or more
CD-ROM Drive Drive 52 X
Floppy Disk Drive 1.44 MB
Modem 512 kbps (Internal or External)
Monitor 15" Colour & 17" Colour TFT or More
Mouse 3 Buttons with optical
Cabinate ATX
Speakers 3200 watts
U.P.S. (Uninterruptible Power Supply)
or C.V.T.(Constant Voltage Transformer)
पी.सी. (Personal Computer)
यह सस्ते प्रकार का कम्यूटर होता है। इससे 8088 माइक्रोप्रोसेसर प्रयोग किया जाता है, इसमे 640KB रैम (RAM) 8KB रोम (ROM) प्रयोंग होती है। इसमें दो 360 KB फ्लॉपी ड्राइव प्रयुक्त होती है, यह सिंगल यूजर (Single user) है। इसमें ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में एम एस डॉस (MS DOS) का प्रयोग होता है। इसकी Speed 1 से 5 एम.आई.पी.एस. (Million instruction per second) के मध्य होती है ।
पी.सी./ एक्स टी (Personal Computer/ Extended Technology)
इसमें पी.सी. की तुलना में फ्लॉपी डिस्क के साथ- साथ हार्ड डिस्क का प्रयोग होता है। यह पी.सी. से मँहगा होता है। पी.सी. की तरह ही इसमें 8088 माइक्रोप्रोसेसर का प्रयोग होता है जो 640 KB तक बढ़ाया जा सकता है। यह भी सिंगल यूजर (Single user) है। इसमें भी ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में एमएस डॉस (MS DOS) प्रयुक्त होता है। इसकी गति भी 1 से 5 एम.आई.पी.एस. (Million instruction per second) के मध्य होती है।
पी.सी./ ए टी(Personal/ Advance Technology)
इस प्रकार के पी.सी. में इंटेल 80286 माइक्रोप्रोसेसर प्रयुक्त होता है। इसमें पी.सी./ एटी की तरह फ्लॉपी डिस्क, हार्ड डिस्क प्रयोग की जाती है। इसे मल्टीयूजर (Multiuser) बनाने के लिए इसमें चार टर्मिनल जोडे जा सकते हैं। इनकी गति भी 1 से 5 एम.आई.पी.एस.के मध्य होती है।
पेन्टियम सीरीज(Pentium series)
इस प्रोसेसर का नाम (Pentium) देने के पीछे इसकी उत्पादनकर्ता कंपनी इंटेल (Intel) की प्रोफेशनल (Professional) चाल थी। इंटेल चतुर्थ पीढ़ी के माइक्रोप्रोसेसर 80486 के बाद अगली पीढी का नाम 80586 होता., परंतु जब इंटेल को महसूस हुआ कि उसके द्वारा की गई डिजायन की नकल हो सकती है, तो उन्होंने अपने प्रोजक्ट का नाम पेन्टियम रखा। जिससे कि नकलकर्ताओं को कानोकान खबर न हो सके।
पेन्टियम सीरिज में निम्नलिखित प्रोसेसर है-
(i) पेन्टियम I ( Pentium I ) - यह प्रोसेसर 1993 में प्रस्तुत हुआ। इसमें वास्तविक रूप में ग्रॉफिक और साउण्ड को प्रोसेस (Process) करने की क्षमता थी। मैमोरी बढ़कर 16 MB तथा माइक्रोप्रोसेसर की क्षमता 133 MHz हो गई।
(ii) पेन्टियम प्रो ( Pentium Pro) - इसका निर्माण 1995 में हुआ था। इसकी क्षमता 233 MHz तथा शुरूआती स्पीड (Speed) 250 MIPS है।
(ii) पेन्टियम II ( Pentium II )- पेन्टियम प्रो चिप का विस्तार कर MMX टेक्नोलोजी को साथ जोड़ा गया ताकि इसकी Clock speed बढ़कर 233 से 450 MHZ हो जाऐ। इसका विकास 1997 में हुआ।
(iv) पेन्टियम III ( Pentium III) - इसका विकास 1999 में हुआ । 750 MHZ की क्षमता वाले इस प्रोसेसर को मल्टीमीडिया, इंटरनेट ब्राउज़िंग और मोबाइल कम्प्यूटरों के उपयोग के लिए बनाया गया ।
(V) पेन्टियम IV ( Pentium IV) - इसका विकास 2001 में हुआ तथा क्षमता 900 MHz से भी ज्यादा है।
Personal Computer
सन् 1970 में computer में micro processor के उपयोग से micro computer की शुरूआत हुई । Micro computer का दूसरा नाम personal computer है। यह एक बार में एक व्यक्ति के काम आने वाला computer है। आने वाले समय में दुनिया भर में लगभग 100 मिलियन personal computer हों जायेंगे ।
Personal Computer का प्रयोग मुख्य रूप से दैनिक कार्यों को करने के लिए होता है। इन कम्प्यूटरों में गणना के अतिरिक्त वीडियो गेम व व्यावसायिक कार्यों जैसे पर्सनल डायरी (Personal diary), डाटाबेस (Database), इनकम टेक्स (Income tax) व बजट आदि का रिकार्ड रखने की भी व्यवस्था होती है।
किसी कम्प्यूटर के मुख्य रूप से तीन भाग होते हैं - सिस्टम बोर्ड (system board), स्क्रीन (screen), कीबोर्ड (keyboard)। समस्त कम्प्यूटरों में स्थाई व अस्थाई मैमोरी होती है। बाह्य मैमोरी हार्ड डिस्क के रूप में और अस्थाई मैमोरी चिप (Chip) के रूप में होती है। जिन्हें (RAM) रैम कहा जाता है। कम्यूटर के ऊपर किया गया कार्य उसकी आंतरिक अस्थाई मैमोरी (memory ) में सुरक्षित रहता है। लेकिन यह मैमोरी केवल तब तक सुरक्षित रहती है, जब तक कि कम्प्यूटर में विद्युत का प्रवाह रहता है। जैसे ही विद्युत का प्रवाह खत्म होता है, वैसे ही यह जानकारी मिट जाती है। स्थायी रूप से जानकारी (information) को स्टोर (store) रखने के लिए बाह्य मैमोरी का प्रयोग करना होता है, जो कि कम्प्यूटर की हार्डडिस्क (hard disk) और फ्लॉपी डिस्क (floppy disk) में रखी जाती है।
कम्प्यूटर की मैमोरी (memory) को किलोबाईट (KB) या मेगाबाइट (MB) यूनिट (unit) में मापा जाता है।
P.C. एक system है, जिसमें data and instruction को input device के माध्यम से accept किया जाता है। इस input किये गये data and instruction को आगे system unit में पहुँचाया जाता है, जहां instruction के according CPU data का processing का work करता है, तथा result का output monitor तथा screen पर भेज देता है। यह प्राप्त result, output कहलाता है।
पर्सनल Computer के प्रकार (Types of Personal Computer) -
Personal computer निम्न चार प्रकार के होते हैं-
(I) Desktop PC
(2)Laptop PC
(3)Palmtop PC
(4) Work station PC
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