प्रश्न 1. सिस्टम से क्या आशय है ? समझाइये। अथवा सिस्टम की अवधारणाओं (Concept of System) को समझाइये और विशेषतायें (Characteristics) भी लिखियें । घटकों का समूह (a set of components) है, जो किसी उदेश्य को पूरा करने के लिए उत्तर - सिस्टम (system) साधारण घटकों का इंटरैक्ट (interact) करता है। सिस्टम (system) कई घरको (components) से मिलकर बना होता है।ये सभी (components) घटक आपस में जुड़ (link) रहत हैं, और उदेस्य को पूरा करते हैं। सिस्टम (ystem) के सभी घटकों का अपना कार्य होता है, जैसे कि कम्ूटर (computer) एक सिस्टम का उदाहरण है जो कई घटकों से मिलकर बना होता है। जैसे की-बोर्ड (keyboard), मॉनीटर (monitor) आदि, सभी कम्प्ूटर के घटक हं जो आपस में जुड़ हुए हैं तथा यूजर (user) द्वरा दिये गये इनपुट (inpu) को आउटपुट (output) के रूप में स्रीन (screen) पर प्रदर्शित करते हैं। किसी सिस्टम का अध्ययन करने के बाद हम यह कह सकते हैं कि (i) एक सिस्टम किसो पहले से निशिचित लक्य को प्रां्त करने के उद्देश्य से तैयार किया जाता है। (il) किसी सिस्टम के विभित्र भागों के मध्य आपसी संबंध व निर्भरता होती है। (i) किसी सिस्टम के विभित्र भागों का उद्दे्य मुख्य लक्य को प्रा करना होता है, न कि अपने-अपने लक्ष्ों को प्राम करना। सिस्टम की विशेषतायें (Characteristics of System) - सिस्टम की विशेषतायें निम्नलिखित हैं - () सभी सिस्टम (system) के उद्दे्य (objectives) पहले से ही स्थिर होते हैं। उदाहरणार्थ शिक्षण संस्थाओं का उद्दे्य (object) युवा पीढ़ी को योग्य शिक्षित पीढ़ी (qualified civilized mind) में बदलना है । (i) सभी सिस्टम (system) आपस में एक दूसरे से संबद्ध (interrelated) और स्वंत्र घटकों (independent components) से मिलकर बने होते हैं । जैसे - बॉयो केमिकल्स (bio chemicals) से मिश्रित होता है। (ili) एक सिस्टम दुबारा सबसिस्टम (subsystem) में विभाजित (subdivided) हो जाता है, जिसमें प्रत्यक अपने इन्टैकिटंग (interacting) तत्वों को रखते हैं। जैसे - एक बिजनेस सिस्टम (business system) को उत्पादन (production), मार्केटिंग सबसिस्टम, में विभाजित किया जा सकता है। (iv) सबसिस्टम (ubsystem) को भी आगे विभाजित (subdivided) किया जा सकता है। जैसे - एकाउन्टिंग (accounting) सबसिस्टम को इन्वेन्टरी कन्रोल (inventory contol), पेरोल (payroll), एकाउन्ट रिसीवेबल (account receivable) और एकाडन्टस पेएबल (account payble) सबसिस्टम में विभाजित किया जा सकता है। (v) एक सिस्टम (system) के विभिन्न घरक (different components) अपने कायों (functions) को पूरा करने के लिए एक-दसो पर निर्र होते हैं। उदाहरण के रूप में एक घटक (componen) को दूसरे घटक (component) से अपना कार्य (function) को पूर्ण करने के लिये इनपुट की आवश्यकता हो सकती है। Gvi) परस्पर संबंध (intenelationship). और परस्पर निर्रता (interdependence) घटकों (components) के बीच में अवश्य होनी चाहिए। ्र्न2. सिस्टम के तत्वों को (Elements ofSystem) समझाइये। उत्तर - एक सिस्टम (system) का उहेय आउटपु (oupu) देना होता है। सिस्टम इनपुट (input) लेता है, और उस पर प्रक्रिया (procesing) करके आउरपुट (oupu) उत्पन् (generate) करता है।
इनपुट (input) डाटा जब आउटपुट के रूप अ अर्थात् सूचना (information) प्रक्रिया (processing) कै लिये बाहर आता है उसके लिए उसे प्रक्रिया (processed) में शामिल करना होता है। आउटपुट Coutput) को प्राप्त करने के लिये हम इनपुट (input) देते हैं। इस इनपुट (inpul) पर प्रक्रिया (process) की जाती है, और हमें परिणाम (resul) मिलता है। सिस्टम के तत्व (element) निम्नलिखित हैं - () इनपुट व आउटुट (Input and Output) - किसी भी सिस्टम (system) का आउटपुट (output) यूजर (user) केलिए महत्वपूर्ण होता है।किसी भी सिस्टम (system) मेंइनपुट (impu) उस सिस्टम (system) के आउटपुट (oupu) के अनुसार हीदिया जाता है। किसी सिस्टम (system) की प्र्रिया (proces) को पूरा करने के लिए जिन औँकड़ों की आवश्यकता होती है, ढसे इनपुट (inpu) कहते हैं, और इस प्रक्रिया के बाद प्रात सूचना (information) को आउटपुट (output) कहते हैं। () प्रक्रिया ( Proces) - किसी भी डाटा(data) को प्रक्रिया के बाद सूचना (information) में बदलना सबसे महत्वपूर्ण काथं है, किसो सिस्टम के इनपुट (input) को आउटपुट (oupu) में बदलने को .प्रक्रिया कहते हैं। (i) नियन्रण (Control) - किसी सिस्टम (ystem) में प्रक्िया को नियंन्ण (control) में करन की क्रिया को कंट्रोल कहतेहैं। (iv) पुनर्निवेशन (Feedback) - जब कोई सिस्टम (system) काम कर रहा होता है तो उसके विवरण के आधार (base) पर सिस्टम जैसा कोई भी इन्फॉर्मेशन सिस्टम (information system) किसी एनालिस्ट (analyst) व यूजर (user) के मध्य मुख्य बातचीत का आधार (base) होता है। सूचना किसी घटना से अनिश्चिता (uncertainity) को हटाती है।उदाहरण के लिये समुद्ी सफर से पहले मौसम विभांग यह जानकारी देता है, कि आज तूफान आने की कोई संभावना नहीं है, तो यह सूचना इस बात को निशि्चित करती है कि यात्रा में कोई तूफान नहीं आयेगा। इन्फॉरमेशन सिस्टम कमांड (command), निर्देश (instruction) व फीडबैक (feed back) करता है । इन सूचनाओं के माध्यम से यह यूजर (user) से कम्युनिकेट (communicate) करने में सहायक होता है। प्रश्न 3. निम्नांकित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए- (i) Physical and AbstractSystem (ii) Open and Closed System. अथवा सिस्टम के कितने प्रकार ("Types of System) होते हैं ? उनको समझाइये। उत्तर - सिस्टम (system) के निम्नलिखित प्रकार (type) होते हैं (i) फिजिकल सिस्टम (physical system) (i) एब्सट्रेकट सिस्टम (abstract system) (ii) ओपन सिस्टम (open system) (iv) क्लोज्ड सिस्टम (closed system) (v) मेन-मेड सूचना सिस्टम (man-made information system) () फिजिकल सिस्टम (Physical system) - फििकल सिस्टम (physical system) टैनजिबल या विजिबल (angibleor visible) सिस्टम (ystem) होत हं अथांत टैनजिबल को देख सकते हैं, क् सकत हं और काउ्ट (coun) कर सकते हैं। फिजिकल सिस्टम (physical system), स्थर (statically) यागतिक (dynamic) रूप में ऑपरेट कर सकते है । उदाहरण के रूप मेंएकस्टील फिलिंग कैबिनेट (a steel feeling cabinet) एक स्थिर फिजिकल सिस्टम (a static physical system) है, तथा एअर कंडीशनिंग यूनिट (air conditioning unit) एक गतिशील सिस्टम है। (i एब्सट्रेक्ट सिस्टम (Abstract System) - एब्सट्रेक्ट सिस्टम (abstract system) कॉन्सैप्चुअल या नॉन-फिजिकल सिस्टम (physical situation) की एबसट्रेक कॉन्सैप्चुअल (abstract conceptual) में सम्मिलित एल्गोरिथम (algorihm of an equation) भी एक एब्सट्रैक्ट सिस्टम (abstract system) का उदाहरण (example) है।
(i) ओपन सिस्टम (Open System) - ओपन सिस्टम (open system) ऐसा सिस्टम है, जो बाहर के वातावरण (envifon. ment) में स्वतंगताूर्वक (fieel)y) इंटैंकट (interact) करता है, यह सिस्टम वातावरण से इनपुट (inpu) लेता है, और इसे ही आउटपुट (outpu) लौटा देता है। इस सिस्टम (system) का संबंध वातावरण (environment) से. होता है। इसीलिये जब वातावरण परिवर्तित (change) होता है, तब सिस्टम आउटडेटेड (outdated) लेबल्ड (abelled) हो जायेगा। (iv) क्लोज्ड सिस्टम (Closed System) - क्लोण्ड (closed) का अर्थ है बंद अर्थांत् कलोज्ड सिस्टम (closed system) एक ऐसा सिस्टम है जो वातावरण के साथ कोई संबंध (relation) नहीं रखता है। वातावरण (enyvironment) में होने वाले कोई भी परिवर्तन (change)इसको प्राषित (afect) नहीं करे हं। क्लोज्ड सिस्टम बहुत कम होते हैं। हमारे दैनिक जीवन (daily life) में ज्यादातर प्रइन 4. सिस्टम विकास बक् से (System Development Life Cycle) से आप क्या समझते हँं? इसके सभी चरणों को समझाइये।
अथ्वा SDLC के विभिन्न Phases कौन-कौन से हैं ?वर्णन कीजिए। उत्तर - विकास का प्रोसेस (the process ofdeveloping) और सिस्टम का प्रयोग करने के लिये मुख्य बिन्दुओं के समूह का अनुसरण किया जाता है।सिस्टम डेवलपमेंट (system developme:t) एक बर्थ -7 मैच्योर (birth to mature) प्रक्रिया है । सिस्टम विकास जीवन चक्र (system devleopment life cycle) के विभिन्र चरण (steps) निम्नलिखित हैं (i) प्रिलिमिनरी इनवेस्टीगेशन स या प्रॉब्लम फॉरमुलेशन (preliminary investigation or problem formulation) (i) फीजिबिलिटी स्टडी (feasibility study) (ill) सिस्टम विश्लेषण (system analysis) (iv) सिस्टम डिजाइन (system design) (v) सॉफ्टवेयर का विकास (development ofsoftware) (vi) सिस्टम परीक्षण (system testing) (vi) इम्लीमेन्टेशन तथा इवेल्यूशन (implementation and evaluation) (vili) रख-रखाव (maintenance)
()प्रिलिमिनरी इनवेस्टीगेशन या प्रॉब्लम फॉरमुलेशन (Preliminary lnvestigation or Problem Formulation) सबसे जटिल समस्या किसी चलते हुये सिस्टम में बास्तविक समस्या (real problem) को पता लगाना है । सिस्टम (system) में समस्थ (problem) को जाने बिना आगे कोई भी काम करना प्रयास को निष्फल करना है। किसी भी सिस्टम (system) में समस्या (problem की परिभाषा यूजर (user) की आवश्यकताओ (requirements) को परिभाषित (define) करती है, या यूजर (user) की सिस्टा (system) से, जो आशा (expectation) होती है उसे परिभाषित (define) करती है। सबसे पहले सिस्टम एनालिस्ट (systen analyst) समस्या (problem) का पता करके उसको परिभाषित (define) करता है ।
यह चरण (phase) प्रोजेक् (project) की सीमाओं (boundaries) को बताता है। इस चरण (phase) के अ्तर्गत सिस्टम (system) के किन भागों (parts) को बदलना है और किन भागों (parts) को नहीं बदलना है, इन कामों को परिभाषित किया जाता है। सिस्टम के (system) विकास चक्र (development cycle) में प्रॉब्लम आइडेंटिफिकेशन (problem identification) निम्नलिखित बिन्दुओं में सहायता करता है (अ) समस्याओं को इंगित करना (ब) सिस्टम (system) के उदहदे्य (goal) को सामान्य तरीके से सेट (set) करना (स) उपलब्ध रिसो्संज (resources) की सीमाओं के द्वारा प्रोजेक्ट (project) की सीमाओं (boundaries) को बताना । (i) फीजिबिलिटी स्टडी (Feasibility Study) - फीजिबिलिटी स्टडी (feasibility study) के अन्तर्गत एक्जिस्टिं सिस्टम में थोडा सुधार करना या पूरी तरह से एक नये सिस्टम का विकास करना आता है । यह विचारधारा समस्या के ओवरव्य (overview) को प्रास करने में सहायता करती है। फोजिबिलिटी स्टडी (feasibility study) यह सुनिश्चित करने के लिए की जाती है, कि प्रोजेक्ट (project) को आगे बढाना है, या प्रोजेक्ट को पोस्टपोन (postpone) या केन्सल (cancel) करना है। E(स) सिस्टम विश्लेषण (System Analysis) -. सिस्टम विश्लेषण (system analysis), सिस्टम विकास जीवन चक्र (system development life cycle) का अत्यन्त महत्वपूर्ण चरंण (step) है। विभित्न सिस्टम घटकों के बीच संबंध (relation) और वातावरण (environment) को विचार करना और समझना इस चरण (phase) के अन्तर्गत आता है। इसके लिए भिन्न-भिन्न माध्यमों से आँकड़ों को इकट्ठा करने की आवश्यकता (equire) होती है। ये माध्यम प्रशनावली (questionnaires), साक्षात्कार (interview), बातचीत (inter- action), तत्काल उपलब्ध डाटा आदि में प्रयोग होते हैं। विश्लेषक (analys() निम्नलिखिंित प्रश्नों के उत्तर के लिए प्रयास करता है (अ) संगठन (organization) में किस तरह के काम होते हैं ? (ब) यह किस तरह के काम करता है ? (स) किस प्रकार की समस्यायें(problems) उत्पत्र होती हैं ? (द) ट्रॉन्जैक्शन का वाल्यूम (volume) क्या है ? (इ) यदि समस्या सामने आती है तो उसका क्या हल है ? (च) इस तरह की समस्या का क्या कारण हो सकता है ? इन प्रश्नों का जबाव देने के लिए सिस्टम एनालिस्ट (system analyst) को अलग-अलग तरह के लोगों से जानकारी लेना चाहिए। उसे व्यापार (business) की पूरी और व्यवस्थित जानकारी होनी चाहिए । सिस्टम विश्लेषक (system analysti) को समस्या के कारणों का पता होना चाहिए और उन समस्याओं को दूर करने के लिए उसके उपयोग की जानकारी भी होनी चाहिए। (iv) सिस्टम डिजाइन (System Design) - सिस्टम डिजाइन (system design) चरण सिस्टम विश्लेषण (system analysis) के बाद होता है ।यह चरण सिस्टम विकास जीवन चकर (system development|life eyole) का सबसे अधिक चुनौती पूर्ण होता है।जिस तरह कोई भी आर्किटेक्ट (architect) भवन निर्माण की शुरूआत करने से पहले उस भवन का पूरा डिजाइन या नक्शा (map) पेपर पर बनाता है, उसी प्रकार सिस्टम एनालिस्ट पूरे सिस्टम की रूप-रेखा तैयार करता है। आधुनिक सिस्टम एनालिस्ट (system analyst) कम्यूटर सॉफ्टवेयर की सहायता से सिस्टम की रूप-रेख। तैयार करते हैं। सिस्टम डिजाइन में सिस्टम एनालिस्ट निम्नलिखित कार्य करता है (अ) एनालिस्ट को फाइल स्ट्रक्चर (fle stucture) स्टोरेज डिवाइसेस (storage devices) इत्यादि को निशिचित (specify) करना चाहिए । (ब) इस चरण (phase) में डाटाबेस भी डिजाइन होता है । (स) हा्डवेयर कीमत, क्षमता, स्पीड गलती दर और द्सरे परफॉरमेन्स लक्षण निश्चित (specified) होते हैं। (द) ऑर्गेनाइजेशनल स्ट्रक्चर में जो बदलाव हुए उन फर्म को आउटलाइन करना। () इनपुट, आउटपुर, फाइलं, फॉर्म और प्रोसीजरों का फॉर्मट तैयार करना। च) फ्लोचार्ं, रिकॉर्ड की रूपरेखा के साथ सिस्टम के कार्यान्वयन की पूरी योजना तैयार करना ।
() सॉफ्टवेयर 'का विकास (Development ofSoftware)- सिस्टम डिजाइन करने के बाद सॉफ्टवेयर या प्राग्राम बनाना सिस्टम विकास जीवन चक्र (system development life cycle) का अगला चरण है। डेवलपमेंट (development) वह चरण है, जहा सिस्टम डिजाइन की विस्तृत जानकारी वास्तविक रूप में सिस्टम को बनाना तथा निर्माण प्रयुक्त होती है। इस चरण में सिस्टम R प्रोग्राम में परिवशित हाता है। सामान्यतः सिस्टम एनालिस्ट (ystem analyst) प्रोप्ाम स्वयं तैयार नहीं करता है, सिस्रम एनालिस्ट स्वयं भी प्रोग्राम को लिखने का कार्थ करता है। प्रोप्ामों (programmers) की क्षमता के अनुसार प्रग्राम तैयार करने वास्तविक रूप के लिए सिस्टम एनालिस्ट प्रग्ामों से कहत है। प्र्रामर, प्रोप्राों के डॉंक्यूमेन्ेशन (documentation) के लिए भी जिम्मेदार (responsible) होता है । (vi) सिस्टम परीक्षण (System Testing) - प्रो्ाम बन जाने के बाद प्रो्राम का परीक्षण सिस्टम विकास-चक्र (system development life eycle) का अगला चरण है। जब प्रग्राम या सॉफरटवेयर बनकर तैयार हो जाता है, तो उसका परीक्षण होता है कि वह सुचारू रूप से कार्य करता है या नहीं ? यदि कई प्रग्ामरों ने अलग-अलग ्रग्राम तैयार किये हैं, तो इनको इकट्ठा करके इंटिग्रेड सॉफ्टेयर का रूप देकर पूरे सिस्टम का परीक्षण होता है। सिस्टम की प्लानिंग और सिस्टम सफलता के लिए नियंतरण (planning and control for system success) - किसी सिस्टम (system) को सफलता के लिए एनालस्ट (analyst) क्या कर सकता है ? पहले एक योजना तैयार कोी जाती है, फिर विभिन्न विधियं, तरीकों, गतिविधियों, स्त्रोतं, लागत व समय की सहायता से सिस्टम को पूरा किया जाता है। दूसरे एक बड़े प्रोजेक्ट में एक टीम बनाई जाती है जो एनालिस्ट (analys), डिजाइनर (designer) प्रोग्रामर (@programmer) सलाहकारों (advisors) व यूजर (user) से मिलकर बनती है। यह लोग आपस में संबंधित ज्ञान बाँटकर सामूहिक प्रावस के माध्यम से प्रोजेक्ट को पूरा करते हैं। अन्त में प्रोजेक्ट को कई उपयोगी भागों में बाँट दिया जाता हैं, जिन्हें एनालिसिस, डिजाइनिंग, तथा इम्प्लीमेन्टेशन का नाम दिया जाता है। यह संम्ूर्ण कार्य प्रोजेक्ट मैनेजमेंट के नियंत्ण (control) में होता है। एक अच्छे नियंत्रक (controller) के लिए विभित्न कार्कारी यूनिट्स को तीन स्तरों में बॉटा जा सकता है। जैसा कि निम्नांकित चित्रमें द्शाया गया है
चित्रानुसार सिस्टम प्रोजेक्ट के चरण ब करियाकलापों का वर्न - सबसे निचले स्तर पर कार्यकारी भागों को छोटे-छो टास्क (task) में विभाजित कर दिया जाता है, टास्क किसी एक व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले कार्यों को कहते हैं। कोई एक. कार्य अन्य कारयों पर निर्भर नहीं होता है।
मष्यम स्तर पर कार्यकारी भाग विभित्र गतिविधियों (activities) से संबंधित कार्यों का समूह होता है, जो SDLC (System Development Life Cycle) को एक फेज प्रदान करने में सहायक होती है। नियंन्ण के उच्च स्तर पर विभिन् गतिविधियँ मिलकर फेज का निर्माण करती हैं। यह फेज पूरे प्रोजेक्ट के मुख्य बड़े भाग होते हैं। किसी प्रोजेक्ट की योजना बनाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए - (अ) प्र्षेक फेज में गतिविधियों को, व प्रत्येक गतिविधि (activity) में टास्क को पह चानना चाहिए। (ब) प्रत्येक फेज के लिए बजट तैयार करना चाहिए। (स) प्रत्येक गतिविधि का समय-समय पर निरीक्षण, रिकार्ड व सारांश तैयार करते रहना चाहिए। (द) अन्त में प्रोजेक्ट की प्रगति रिपोर्ट (progress report) तैयार करनी चाहिए। (vil) सिस्टम इम्लीमेन्टेशन तथा मूल्यांकन (System Implementation and Evaluation) - सिस्टम क्रियान्वयन, सिस्टम विकास जीवन चक्र (system development life cycle) का अन्तिम चरण है। इसके अन्तर्गत हार्डवेयर इन्स्टॉलेशन (hardware installation), प्रोग्राम (programs) डाटा संग्रहण आदि को नेटवर्क से जोड़ा जाता है। इस चरण में यूजर (user) सिस्टम (system) का प्रयोग करना शुरू कर देता है। इस चरण में सिस्टम को प्रयोग करने वाले यूजरों (users) को ट्रेनिंग (training) देना और डोॉक्यूमेटेशन (documentation) रेफर (refer) करना है। सिस्टम (system) जितना अधिक जटिल होता है, यूजर (user) को उसी अनुसार अधिक प्रशिक्षण (taining) की आवश्यकता होती है। मूल्यांकन (Evaluation) - नये सिस्टम को क्रियान्वित करने के बाद सिस्टम के बारे में हर स्तर पर यूजर (user) से फीडबैक लिया जाता है, तथा उन सभी यूजरों (users) की टिप्पणी के आधार पर सिस्टम की सफलता निशिचित होती है।इस प्रक्रिया (process) को सिस्टम का मूल्यांकन (evaluation) कहते हैं। (vil) रखरखाव (Maintenance) - सिस्टम के सफल क्रियान्वयन के बाद सिस्टम विकास जीवन चक्र (system develop- ment life cycle) का रख-रखाव (maintenance) चरण का दौर शुरू होता है। इस चरण केअन्तर्गत निम्नलिखित तीन मुख्य बिन्दु (points) होते हैं (अ) एनहेन्समैन्ट (Enhancement) - इसके अन्तर्गत नये फंक्शनों को जोड़ना या सिस्टम की अतिरिक्त योग्यता आती है। (ब) एडे्टेशन (Adaptation) - एडे्टेशन नये वातावरण में कस्टमाइजिंग सॉफटवेयर (customizing the sofीware) के क्रियान्वयन को बताता है। निम्नलिखिखत चित्र में सिस्टम के चित्रण को प्रदर्शित किया गया है-
Output उपरोक्त चित्र में सिस्टम विकास जीवन -चक्र (system development life cycle) को चित्रित किया गया है ।ओपन सिस्टम (open system) ह। प्रशन S. प्रणाली (System) विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए। धउत्तर- किसी भी प्रणाली का विकास किसी संस्थान में कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए, कार्य को गति प्रदान करने के लिए व निर्णय क्षमता को बढाने लिए किया जाता है। किसी नईं प्रणाली का। विकास करने मं, इसके पूर्व प्रचलित प्रणाली को समझना उपयोग कर्ता की नई आवश्यकताओं को जानना और समस्त सीमाओं में रहते हुए प्रणाली की डिजाइन कर लागू करना होता है। सिस्टम डेवलपमेंट को मुख्यत: तीन भागों में बांटा जा सकता है-
(i) प्रणाली जोॉच (system investigation) (i) प्रणाली विश्लेषण-(system analysis) (ii) प्रणाली डिजाइन (system design) (i) प्रणाली जौँच (Sysfem Investig a tion) -प्रणाली जाँच से तात्पर्य, संस्थान में प्रचलित प्रणाली की पूर्ण रूप से जानकारी पास करना है। इसके लिए अनेक विधियों का उपयोग किया जाता है। सामान्यतः इसमें निम्नलिखित तत्व सम्मिलित रहते हैँं - (अ) प्रचलित प्रणाली का सर्वें (ब) नई विकसित होने वाली प्रणाली की जानकारी (स) उपयोगकरता की आवश्यकताओं की सूची """.""ब" (द) नवीन प्रणाली का उद्देश्य (इ) इसकी सीमाएं (क) उपयोग किए जाने वाले संसाधन (ख) लागत व लाभ (ग) व्यावहारिकता अध्ययन रिर्पोर्ट S ().प्रणाली विश्लेषण (System Analysis) - प्रणाली जाँच के दौरान एकत्रित की गई एवं नए सिस्टम से चाही गई समस्त जानकारियों व सूचनाओं का विश्लेषण करके व़र्तमान में क्या परिवर्तन किए जाने हैं अथवा यदि पूर्णतः नया सिस्टम डिजाइन कसना है तो उसके सम्पूर्ण त्वों व विभित्र सबसिस्टम जो, डसमें होंगे, उनका अध्ययन प्रणाली विश्लेषण की प्रक्रिया में किया जाता है।प्रणाली विश्लेषण के अन्तर्गत प्रचलित प्रणाली में स्थित बुराइयों को नए सिस्टम के द्वारा किस प्रकार दूर किया जाएगा व उसमें क्या लाभ होंगे आदि का विश्लेषण किया जाता है । (अ) उपभोक्ता की सूचना व आवश्यकताओं का विश्लेषण, (ब) प्रणाली उपभोक्ता संस्थान का पूर्ण विश्लेषण (स) प्रचलित प्रणाली का विश्लेषण (द) प्रतिस्थापित सिस्टम का विश्लेषण (इ) हार्डवेयर / सॉफ्टवेयर आवश्यकताओं का विश्लेषण आवश्यकता पड़ने पर प्रणाली विश्लेषण में अन्य टेक्नोलॉजी का उपयोग भी किया जा सकता है। (il) प्रणाली डिजाइन (System Design) - सवांधिक सृजनात्मक व चुनौतीपूर्ण कार्य सिस्टम डिजाइन होता है। सिस्टम डिजाइन से तात्प्य वास्तविक प्रक्रिया के विकास से है, जिससे कि सिस्टम का निर्मांण होता है। सिस्टम डिजाइनं में निम्नलिखित तत्व सम्मिलित किए जाते हैं- ( अ) आउटपुट डिजाइन (ब) इनपुट डिजाइन (स) डाटाबेस डिजाइन (द) संसाधन प्रक्रिया डिजाइन (इ) हारईवेयर डिजाइन (फ) सॉफ्टवेयर डिजाइन
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